कर्ज लेने वालों की हिस्सेदारी चार साल पहले के 55 फीसद की तुलना में बढ़कर 75 फीसद हो गई है
त्योहारी सीजन में रिटेल लोन की ऊंची मांग की उम्मीद में बैंक एक-दूसरे को कड़ी टक्कर दे रहे हैं
विरासत में सिर्फ संपत्ति ही नहीं मिलती बल्कि कई तरह देनदारियां भी मिलती हैं
बैंकों से कर्ज की मांग पिछले कुछ दिनों से लगातार बढ़ रही है, मानो कर्ज लेने की होड़ मची हो और वह भी ऐसे समय समय जब कर्ज लगातार महंगे हो रहे हैं.
लोन का गारंटर उस शख्स को कहा जाता है, जिसपर कर्जदार के कर्ज नहीं चुकाने की हालत में कर्ज चुकाने की कानूनी जिम्मेदारी होती है.
अपनी इस पहल के तहत फेसबुक इंडिफी के साथ साझेदारी करके देश को छोटे कारोबारियों को 50 लाख तक का लोन दे रहा है.
कोलैटरल लोन एक प्रकार की गारंटीकृत लोन है जो आपकी समस्याओं का समाधान करेगी यदि आपको तत्काल बड़ी राशि की आवश्यकता है.
लोन-लिंक्ड पॉलिसियों के माध्यम से मिले इंश्योरेंस कवर आमतौर पर बैंकों के रिस्क को कम करने के लिए होते हैं.
जब कोई व्यक्ति या संस्था कानूनी रूप से यह घोषणा कर देता है कि वह लिए गए कर्ज चुकाने में असमर्थ है. इस स्थिति को ही दिवालिया होना कहते हैं.
अगर बैंकों के एसेट्स (संपत्तियों) पर दबाव बढ़ता है या गंभीर होता है, तो उनका NPA बढ़कर 11.22% तक जा सकता है.